1/25/13

जयपुर में सजा शब्दों का संसार

जयपुर। चर्चाओं के दौर में साहित्यकारों और लेखकों ने विचारों के इस समागम स्थल पर नई ऊर्जा का संचार किया। इस दौरान जेएलएफ में नारी विमर्श से लेकर भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन के जीवन पर भी प्रकाश डाला गया। वहीं पाकिस्तान से आए जमील अहमद ने दोनों मुल्को की बदलती तस्वीर पेश की। रामानुजन के नए रूप से साक्षात्कार श्रीनिवास रामानुजन का जीवन सिर्फ एक अतुल्य गणितज्ञ का जीवन नहीं था। प्रेरणा के धरातल पर वे जाने कितनों का जीवन छू गए और आज नवभारत के निर्माण में जुटे कितने ही युवा अपनी जड़ें रामानुजन के जीवन प्रसंगों में पाते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के महानतम गणितज्ञों में शुमार श्रीनिवास रामानुजन के जीवन का एक नए रूप से साक्षात्कार कराया जयपुर साहित्य उत्सव में राजस्थान पत्रिका सीरीज के तहत गुरूवार को आयोजित सत्र"द इनोसेन्ट जीनियस : रामानुजन एंड ए लाइफ इन मैथेमैटिक्स" ने। सत्र के दौरान गणितज्ञ व उपन्यासकारमानिल सूरी और दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर दिनेश सिंह के वार्तालाप ने उपस्थित जनों को न सिर्फ रामानुजन के जीवन, गणित में उनके योगदान से परिचित करवाया बल्कि इस महान गणितज्ञ के जीवन के अनछुए पहलुओं पर भी चर्चा की। सत्र की शुरूआत दिनेश सिंह ने रामानुजन के जीवन परिचय से की। उन्होंने बताया कि किस तरह पांच साल की उम्र तकबोलने, लिखने और पढ़ने में अक्षम रामानुजन ने गणित में जीवन के मायने ढूंढे। किस तरह गणित में अभूतपूर्व प्रतिभा होने के बावजूद वे तत्कालीन मद्रास विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की परीक्षा में फेल हो गए और स्नातक की डिग्री नहीं ले सके। पोर्ट ट्रस्ट ऑफ मद्रास में नौकरी के दौरान गणित का अध्ययन जारी रखा। अंतत: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गणितज्ञ जी.एच. हार्डी ने उनकी अनूठी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें ब्रिटेन बुलवाया। दिनेश सिंह ने रामानुजन को आम जनता के लिए सुग्रा±य बनाने में जी.एच. हार्डी के योगदान पर चर्चा के साथ ही बताया कि किस तरह अभूतपूर्व प्रतिभा के बावजूद रामानुजनमन से अबोध रहे। वक्ताओं ने उपस्थित श्रोताओं के चुनिंदा प्रश्नों के भी उत्तर दिए। दिनेश सिंह ने बताया कि जल्द रामानुजन पर एक पुस्तक प्रकाशित होने वाली है। "मंटो सैकंड ग्रेड राइटर" फ्रंट लॉन में हुए "द फ्लाइटऑफ द फाल्कन" सेशन में पाकिस्तानी राइटर्स से रूबरू होने आए साहित्यप्रेमी थोड़े निराश हुए। एक ओर जहां सेशन में मोहम्मद हनीफ अनुपस्थित रहे, तो एम.ए फारूखी ने मंटो को सैकंड ग्रेड राइटर कहकर साहित्यप्रेमियों को भौचक्का कर दिया। सेशन के दौरान जब फारूखी से पूछा गयाकि वे मंटो से कितने प्रभावित हैं, उन्होंने जवाब दिया "मंटो सैकंड ग्रेड राइटर हैं। मैंने उन्हें पढ़ा है, लेकिन उनसे प्रभावित नहीं हूं।" इस दौरान उन्होंने अपनी किताब"द स्टोरी ऑफ ए विडो" और"बिटवीन क्ले एंड डस्ट" पर भी चर्चा की। सेशन में मौजूदजमील अहमद ने अपनी किताब"वांडरिंग फाल्कन" के जरिए ट्राइब्स की स्थिति पर चर्चा की। जमील से पूछने पर कि ट्राइब्स के एक्सप्लॉइटेशन की वजह क्या निरक्षरता है? उन्होंने जवाब दिया, "लिट्रेसी और एजुकेशन में अंतर होता है। मेरा मानना है कि ट्राइब्स ज्यादा एजुकेटेड हैं। जहां तक बात एक्सप्लॉइटेशन की है तो वो हर जगह है।" çस्त्रयों को बराबरी का दर्जा नहीं फ्रंट लॉन में हुए"रिमेम्बरिंग सुनील दा" सेशन जाने-माने बंगाली साहित्यकार सुनील गंगोपाध्याय के नाम रहा।

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